Monday 21 September 2015

मलवा

अरे ! क्यों गिराते हो दीवारों को?
इनमें भी एक जीता जागता जीवन है!

क्या कहा - ?
सड़न है, दुर्गन्ध आती है,
सीलन है, दीवारें जर्जर हैं ,
कई जीवन कैद हैं इनके भीतर,
कई जीवन दफन हैं इनके नीव तले !

तो दो हथौड़ा-
मैं भी तुम्हारे साथ हूँ-
नेस्तनाबूत कर दें सब दीवार, सब मकान,
पर पहले इतना तो बता दो-
इसके बाद क्या करोगे ?
यहाँ नया महल बनाओगे,
नई इमारत खड़ी करोगे,
या सुन्दर सी कुटिया बनाओगे ?
या फिर बनाओगे यहाँ सुन्दर बगीचा, या समतल मैदान ?


....... अरे सुनो !
कम से कम ये मालवा तो साफ़ करते जाओ......!
Images : courtsy google
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